आंटी 1 - हाथ देकर आंटी ने रिक्शा रकवाया। आवाज़ बिलकुल पतली। उम्र 58-60 के लगभग। आंटी जी ने पिंक और ग्रे रंग का गर्म सूट पहना था। मासूम चेहरा उस पर रंग दूध-सा गोरा। सूट के रंग से मिलती हल्की पिंक लिपस्टिक और बिन्दी, आँखों में काजल लगाए हुए। मेरा ध्यान उनके बालों और पर्स पर ही अटक गया। हाथ में चमकता गोल्डन पर्स और माथे तक आईं लेज़र कट की लटें उन पर ख़ूब जँच रही थीं। उन्हें देखकर लग रहा था कि वे ज़िंदगी को लेकर बहुत सक्रिय हैं और अपने हिसाब से जीना जानती हैं। जाने क्यों उनमें मुझे गुज़रे ज़माने की प्रसिद्ध नायिका साधना की छवि दिखाई दी। नवंबर का महीना और शाम का समय होने से हवा ठंडी हो चली थी। आंटी जी दोनों हाथ बाँधकर सिकुड़कर बैठ गईं, फिर मेरी ओर देखकर बोली पैदल चलने पर इतनी ठंड नहीं लगती, जितनी रिक्शे में सीधी हवा लगने से लगती है पर मौसम अच्छा हो गया है। मैंने हाँ में सिर हिला दिया। फिर मुझसे पूछा कि मैं कहाँ जाऊँगी और बताया कि उन्हें शुगर है। कल टेस्ट करवाया था, उसी की रिपोर्ट लेने जा रही हैं। इसी बहाने उनका घर से निकलना भी हो जाता है। फिर वे ठंडी हवा का आनंद लेने लगी। मुझे आंटी जी का व्यक्तित्व और उनकी चपलता दोनों बहुत आकर्षक लगे। wow से बढ़कर अगर कुछ होता है तो वही।
आंटी 2 - नई दिल्ली मैट्रो स्टेशन से आंटी जी ने अपने नाती (उम्र 16-17 वर्ष के आसपास) के साथ मैट्रो के पहले कोच में प्रवेश किया। सारी सीटों पर महिलाएँ और लड़कियाँ बैठी थीं, केवल एक ही सीट खाली थी। आंटी जी उस पर बैठ गई। लड़का खड़ा था। शायद उसे अब तक यह अहसास नहीं हुआ था कि वह महिलाओं के लिए आरक्षित मैट्रो के पहले कोच में है। आंटी जी के साथ वाली सीट पर बैठी लड़की ने उसे कहा कि वह दूसरे कोच में चला जाए। तब लड़के ने अपने चारों ओर नज़र घुमाई और आंटी जी से बोला कि वह साथ वाले कोच में जा रहा है, वहाँ से उन्हें देखता रहेगा। आंटी जी ने देखा कि वहाँ सीट खाली नहीं है, फिर बोली कि खड़ा तो वहाँ भी रहेगा तो जाकर क्या करेगा। अगले स्टेशन पर मैट्रो की एक महिला कर्मचारी आई और लड़के को दूसरे कोच में जाने के लिए कहा। वह बेचारा जाने ही लगा था कि आंटी जी ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया और सामने बैठे एक बच्चे की ओर संकेत करते हुए बोली कि वह भी तो लड़का है। कर्मचारी बोली, अरे! माताजी वह 12 वर्ष से छोटा है। छोटे लड़के बैठ सकते हैं। आंटी जी अपने नाती की ओर देखकर बोली कि यह कौन सा बड़ा है, 15 का तो है। तब मैट्रो कर्मचारी सख्ती दिखाते हुए बोली कि 200 रु जुर्माना देना पड़ेगा। आंटी ने उसे घूरकर देखा और लड़का थैला उठाकर जाने को हुआ। मैट्रो कर्मचारी के बाहर जाते ही गेट बंद हो गया और आंटी जी ने लड़के को जाने से रोक लिया। अगले स्टेशन पर फिर वही किस्सा। आंटी जी का समय प्रबंधन गज़ब का था। वह मैट्रो कर्मचारी को गेट खुले रहने तक बहस में उलझाए रखती, फिर लड़के को जाने का संकेत करती और बाद में रोक लेती। उन्होंने चार बार ऐसा किया। पाँचवें स्टेशन के आते ही चली गई। लड़का हर बार यही कहता कि क्या नानी आप भी। आसपास बैठी सभी महिलाएँ उनकी चालाकी समझ गई थीं। जब तक वे रहीं, मेरे मन में भी यही चल रहा था-क्या आंटी जी आप भी।